
Girish Tiwari - Wikipedia
Girda has written plays including "Nagare Khamosh Hain" and "Dhanush Yagya". Girda edited "Shikharon ke Swar" in 1969, and later "Hamari Kavita ke Ankhar" and "Rang Dari Dio Albelin Main". His latest compilation of poems and songs specially focusing "Uttarakhand Andolan" and "Uttarakhand Kavya" which was published in 2002.
गिरीश चन्द्र तिवारी "गिर्दा" और उनकी कविताये: GIRDA & HIS POEMS
May 18, 2009 · गिरीश चन्द्र तिवाङी 'गिर्दा' का जन्म 1945 में ज्योली हवालबाग में श्री हंसादत्त तिवाङी तथा श्रीमती जीवन्ती तिवाङी के घर पर हुआ.
गिरीश चंद्र तिबाडी 'गिर्दा' - कविता कोश
गिरीश चंद्र तिबाडी 'गिर्दा' - कविता कोश भारतीय काव्य का विशालतम और अव्यवसायिक संकलन है जिसमें हिन्दी उर्दू, भोजपुरी, अवधी, राजस्थानी आदि पचास से अधिक ...
Girish Chandra Tiwari Girda Poem Vyapari. उत्तराखंड के …
Jan 10, 2023 · चमोली: जोशीमठ…पल पल दरकता, टूटता…शायद आखिरी सांसे गिनता जोशीमठ। वो लोग जिन्होंने यहां घर बनाए थे, वहां खतरे के लाल निशान गवाही दे रहे हैं कि आखिरी वक्त आ गया है।. घर को अलविदा कहने का समय आ गया है। जोशीमठ का ये हाल कैसे हुआ?
गिरीश तिवाड़ी ‘गिर्दा’ का काव्य संग्रह: जैंता एक …
May 26, 2021 · गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' का काव्य संग्रह: जैंता एक दिन तो आलो कविता संग्रह के विषय में- जैंता एक दिन तो आलो 'जैंता एक दिन तो आलो' कवि गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' का काव्य संकलन है। इस संकलन का पहला संस्करण वर्ष 2011 में पहाड़ प्रकाशन, नैनीताल से हुआ है। यह काव्य संग्रह दो खंडों में विभाजित है। इस काव्य…
Uttarakhand Kavya - Poems by Girish Tiwari (Girda) - Cultural …
UTTARAKHAND KAAVYA by Girish Tiwari ‘Girda’. The book is a collection of short poems written by the author at the time when the state was fighting for its identity and the Uttarakhand revolution was at its prime.
एक तरफ बर्बाद बस्तियाँ एक तरफ हो तुम
Jul 26, 2019 · ख्यात रंगकर्मी, लोकविद, राज्य आंदोलनकारी और जनकवि गिरीश तिवारी 'गिर्दा' की प्रसिद्ध कविता. एक तरफ बर्बाद बस्तियाँ – एक तरफ हो तुम।. एक तरफ डूबती कश्तियाँ – एक तरफ हो तुम।. एक तरफ हैं सूखी नदियाँ – एक तरफ हो तुम।. एक तरफ है प्यासी दुनियाँ – एक तरफ हो तुम।. अजी वाह! क्या बात तुम्हारी, तुम तो पानी के व्योपारी, खेल तुम्हारा, तुम्हीं खिलाड़ी,
गिरीश तिवारी गिर्दा का जीवन परिचय और गिर्दा की …
Sep 9, 2021 · 1974 में उत्तराखंड आंदोलन और 1984 में नशा नही रोजगार दो आंदोलनों में गिरीश तिवारी गिर्दा के गीतों ने नई,धार और नई शक्ति दी। 1994 में उत्तराखंड राज्य आंदोलन में जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा के गीत “धरती माता तुम्हारा ध्यान जागे ”
गिरीश तिवारी गिर्दा की कविता – हम लड़ने रयां …
Jul 1, 2021 · गिरीश तिवारी गिर्दा को उत्तराखंड का जनकवि के नाम से याद किया जाता है। गिर्दा की कविताओं ने समय समय पर उत्तराखंड के जनांदोलनों को नई धार दी। गिरीश तिवारी गिर्दा की कविता और उनके गीतों में वो शक्ति थी ,जो लोगो के सोये हुए जमीर को भी जगा देती थी। गिर्दा की इतिहासिक जनगीतों और कविताओं में से उनकी प्रसिद्ध कविता हम लड़ने रयां बैणी, हम …
गिर्दा की कविता 'मोरि कोसि हरै गे कोसि' - Kafal Tree
Aug 22, 2022 · आज जनकवि गिरीश चन्द्र तिवारी ‘गिर्दा’ की पुण्यतिथि है. 22 अगस्त 2010 को अपने सभी प्रियजनों को अलविदा कहने वाले ‘गिर्दा’ एक जनकवि के साथ लोक के मयाले कवि हैं. उनकी यह कविता कबाड़खाना ब्लॉग से साभार ली गयी है. गिर्दा का फोटो: स्व. कमल जोशी. जोड़ – आम-बुबु सुणूँ छी. पिनाथ बै ऊँ छी मेरि कोसि हरै गे कोसि. कौशिकै की कूँ छी मेरि कोसि हरै गे …
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